राष्ट्रीय राजधानी में अभिभावकों के एक वर्ग ने दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए विद्यालयों को खोलने के दिल्ली सरकार के निर्णय का बुधवार को स्वागत किया जबकि कुछ अन्य ने कोविड-19 के टीके के उपलबध हो जाने तक कक्षाओं की बहाली के सुरक्षित नहीं होने की बात कही। दिल्ली सरकार ने 18 जनवरी से दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए विद्यालयों को खोलने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। लेकिन सरकार ने यह भी निर्देश दिया कि विद्यार्थी विद्यालय आने के लिए बाध्य नहीं हैं और उपस्थिति वैकल्पिक है। इस निर्णय का स्वागत करने वालों ने कहा कि इससे विद्यार्थियों को अपना संदेह दूर करने का मौका मिलेगा और वे मई में परीक्षा शुरू होने से पहले परीक्षा वाली स्थिति में आ जायेंगे।
बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी के पिता संवित झा ने कहा, ‘‘ विद्यार्थी 10 महीने से अधिक समय से घर में हैं। यही समय है कि वे उचित एहतियात के साथ बाहर जाएं और तैयारी वाली स्थिति में आ जाएं। ’’ हालांकि एक अन्य अभिभावक निमित शर्मा ने कहा, ‘‘ पहले उसने (सरकार ने) कहा कि टीका उपलब्ध हो जाने तक विद्यालय नहीं खुलेंगे और जब जब हम उसके बिल्कुल करीब आ गये हैं तो वे विद्यार्थियों को बुला रहे हैं। परीक्षा में अभी पांच महीने हैं।’’ उनकी चिंता से इत्तेफाक रखते हुए प्रीति धुल ने कहा, ‘‘ वैसे विद्यालय जाना विद्यर्थियों के लिए वैकल्पिक है लेकिन वे सहपाठी के चलते दबाव महसूस करेंगे। ऐसे में बच्चों में साथी से पीछे छूट जाने का अनावश्यक डर पैदा होगा और वे कम जरूरत के बाद भी जाना चाहेंगे। ’’ कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद पिछले साल मार्च से यहां विद्यालय बंद हैं। वैसे कई राज्यों ने पिछले साल अक्टूबर में आंशिक रूप से विद्यालयों को खोला लेकिन दिल्ली सरकार इस बात पर दृढ़ थी कि टीका आने के बाद ही वह विद्यालयों को खोलेगी।
न्यूज़ सोर्स – नवभारत
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