किसान नेताओं की ओर से भले ही पंजाब के गांव-गांव से किसानों को बुलाने की अपील की जा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि सिंघु बार्डर पर अब लोगों का जोश ठंडा पड़ने लगा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि शुरू-शुरू में प्रदर्शनकारियों को पिज्जा, ड्राई फ्रूट, फ्रूट चाट, गाजर का हलवा आदि खिलाने वाले अब दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। वह अपना बोरिया बिस्तर बांध कर सिंघु बार्डर को अलविदा कह चुके हैं। अब लोग यहां पर पिज्जा खाने आते हैं, लेकिन मायूस होकर वापस चले जाते हैं।
दरअसल शुरुआत में किसानों के आंदोलन की गर्मी में अपना पिज्जा सेंककर कुछ लोगों ने वाहवाही लूटी। मीडिया ने भी उनको खूब दिखाया, लेकिन उन लोगों को पता ही नहीं था कि यह आंदोलन इतना लंबा चल जाएगा। बढ़ते खर्च को देखते हुए अब न तो वे लोग दिखते हैं और न ही उनका लंगर। ऐसे ही पंजाब के मोहाली से कलाकार परविंद्र सिंह ‘सिख म्यूजियम’ को लेकर सिंघु बार्डर पहुंचे। उन्होंने बताया कि मोहाली से यहां पहुंचने में उन्हें 16 घंटे का समय लगा। उनका कहना था कि मोहाली में उनके म्यूजियम को देखने काफी कम लोग पहुंच रहे थे। इसलिए वह इसे लेकर यहीं पहुंच गए।
सैलून बंद, मालिश वाले भी नहीं आ रहे नजर
प्रदर्शन की शुरुआत में यहां पर सैलून भी खुल गए थे। मालिश वाले भी मुफ्त में मसाज कर रहे थे, लेकिन प्रदर्शन को लंबा होते देख सैलून भी अब बंद हो गया है। इसके अलावा मालिश वाले भी अब यहां नजर नहीं आ रहे हैं। इसके अलावा पहले यहां पर कंबाइन व महंगी-महंगी गाड़ियां लेकर भी लोग पहुंच रहे थे। वे भी नहीं दिख रहे हैं।
लगातार घटती जा रही किसानों की संख्या
डेढ़ महीने से ज्यादा समय से सिंघु बार्डर पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वजह से सरकार से वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकल रहा है। नतीजतन, प्रदर्शनकारियों की संख्या घटती जा रही है। सोमवार को भी सिंघु बार्डर पर कम ही प्रदर्शनकारी देखने को मिले, जबकि सप्ताहांत पर यहां लोगों की संख्या काफी बढ़ गई थी।
न्यूज़ सोर्स – जागरण
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